
मूजी बाबा का आध्यात्मिक जागृति के लिए सहज पथ
एक दैनिक चिंतन:
स्वयं के साथ बने रहने का निर्णय करें और कुछ मिनटों के लिए शांत हो जाएं।
मन में या इंद्रियों के माध्यम से जो कुछ भी सोच विचार उत्पन्न हो रहे हैं , उससे स्वयं को अलग कर लें।
कुछ भी नियंत्रित करने का प्रयास न करें। बस केवल शांत, खाली और जागरूक बने रहें।
अपना ध्यान किसी भी विशेष चीज़ पर केंद्रित नहीं करें।
जो कुछ भी आ रहा है और जा रहा है, उसे आने और जाने दें।
बस उसके प्रति अनासक्त और निर्लिप्त बने रहें।
सिर्फ अपनी जागरूकता के प्रति जागरूक बने रहें।
धीरे-धीरे, यह स्पष्ट और साफ जाहिर हो जाएगा कि सब कुछ स्वाभाविक रूप से आता है और चला जाता है।
कुछ भी उस अचल शून्याकाश में ठहरता नहीं, जिसमें वे प्रकट हो रहे हैं।
इस निराकार मगर जीवंत शून्याकाश को अपने स्वयं के आत्मा के रूप में जानें – जो कि प्रयासहीन सहजता से शांत, संतुष्ट तथा मन, इंद्रियों और दुनिया के हलचल से अप्रभावित है।
सही मायने में इसे हृदय के अंतरतम में जान लेने से समस्त खोज की पूर्णता होती है।
यही सत्य है।
इस स्वाभाविक आनंद और शांति में बने रहें।
मूजी बाबा
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